केंद्र सरकार ने लिया लोगों की सेहत से जुड़ा बड़ा फैसला, आयुष्मान भारत योजना के लाभ के दायरे को बढ़ाया
70 वर्ष से अधिक हर बुजुर्ग को मिलेगा योजना का लाभ
दिल्ली। केंद्र सरकार ने लोगों की सेहत से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। आयुष्मान भारत योजना के लाभ के दायरे को बढ़ाया गया है। अब इस योजना का लाभ 70 वर्ष से अधिक हर बुजुर्ग को मिलेगा। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। कैबिनेट ने आयुष्मान भारत योजना के दायरे को बढ़ाने पर मुहर लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत के विस्तार को मंजूरी दे दी है। 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए कवर के विस्तार की घोषणा अप्रैल 2024 में प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। नए फैसले से 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य कवरेज मिल सकेगा। इसका लक्ष्य छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवर देना है।
सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इसमें शामिल कर लिया है। केंद्र के नए फैसले का लाभ छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों वाले लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को मिलेगा। केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के साथ 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठा सकेंगे। पात्र वरिष्ठ नागरिकों को योजना का नया विशेष कार्ड जारी किया जाएगा। योजना के तहत पहले से ही कवर किए गए परिवारों के 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को अपने लिए प्रति वर्ष पांच लाख तक का अलग से टॉप-अप कवर मिलेगा। हालांकि, इस टॉप-अप कवर परिवार के ऐसे अन्य सदस्यों के साथ साझा नहीं किया जा सकेगा जो 70 वर्ष से कम आयु के हैं।
आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य करीब 55 करोड़ लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज मुहैया कराना है। मौजूदा समय में उन व्यक्तियों को योजना का लाभार्थी माना जाता है जो भारत सरकार के सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 (SECC-2011) डेटाबेस की विशेष श्रेणियों में शामिल हैं। दरअसल, 55 करोड़ लाभार्थियों की संख्या ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की SECC-2011 जनगणना के आधार पर तय की गई थी। आयुष्मान भारत पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजना है। इसकी कार्यान्वयन की लागत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बांटी गई है।