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देवप्रयाग में 17 वर्षीय किशोर को गुलदार ने बनाया निवाला, दहशत में पूरा क्षेत्र 

पिंजरे में कैद हुआ आदमखोर गुलदार 

आक्रोशित जनप्रतिनिधि रेंजर कार्यालय पर तालाबंदी कर बैठे धरने पर 

देवप्रयाग। उत्तराखंड के देवप्रयाग में देर रात गुलदार ने एक 17 वर्षीय किशोर को निवाला बना लिया। किशोर का क्षत-विक्षत शव कई घंटे की खोजबीन के बाद घटनास्थल से काफी दूरी पर देर रात स्थानीय लोगों और वन विभाग की टीम ने बरामद किया। देवप्रयाग विधायक ने सुबह चार बजे घटनास्थल पर पहुंचकर गुलदार को तत्काल पकड़ने के निर्देश दिए। किशोर का शव मिलने के बाद से ही पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है। वहीं, अब सुबह करीब साढ़े पांच बजे गुलदार को पिंजरे में कैद करने में सफलता हाथ लगी।

देवप्रयाग तहसील में स्टाम्प विक्रेता बलवंत सिंह चौहान का बेटा अनुराग देवप्रयाग डिग्री कॉलेज में क्रिकेट खेलने गया था। जब वह करीब सात बजे  खेलकर लौट रहा था, तो अचानक घात लगाकर बैठे गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के शोर मचाने पर भी गुलदार ने उसे नहीं छोड़ा। सूचना पर स्थानीय पुलिस और वन विभाग की टीम के साथ स्थानीय लोग कई घंटों तक उसे ढूंढ़ते रहे, लेकिन किशोर का कुछ पता न चल सका।

देर रात वन विभाग और पुलिस की टीम को किशोर का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। किशोर की मां शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। अनुराग कक्षा बारहवीं का छात्र था। लोगों ने वन विभाग एवं सरकार से क्षेत्र में सक्रिय गुलदारों को पकड़ने की मांग की है। देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने कहा कि गुलदार को सुबह साढ़े पांच बजे के करीब पिंजरे में कैद कर दिया गया है।  गुलदार के हमले में किशोर की माैत के बाद से छात्र छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए आज विकासखंड देवप्रयाग के समस्त शासकीय, अशासकीय, सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अवकाश किया गया है।

आक्रोशित लोगो ने  पिंजरे में कैद किए गए गुलादर को मौके पर शूट किए जाने की मांग करते हुए जबरदस्त हंगामा किया। जिसमें एक व्यक्ति गुलदार को ले जा रहे वाहन के सामने लेट गया। वन विभाग के अधिकारियों ने पकड़े गए गुलदार को तहसील स्थित वन विभाग कार्यालय तक ही ले जाने की बात कही। जिस पर प्रदर्शन कर रहे लोग सहमत गए। लेकिन जब लोग तहसील पहुंचे तो उन्हें पता चला कि गुलादर को हिंडोलाखाल होते हुए देहरादून ले जा रहे हैं। जिस पर आक्रोशित जनप्रतिनिधि रेंजर कार्यालय के कर्मचारियों को बाहर कर  तलाबंदी कर धरने पर बैठ गए।

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