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पालतू जानवरों से है एलर्जी? जानिए इसके इलाज के तरीके और अन्य जरूरी बातें

दुनियाभर में लोग कुत्ते-बिल्लियों जैसे तमाम जानवरों को अपने घर के सदस्य की तरह पालते हैं। हालांकि, कई लोगों को पालतू जानवरों से एलर्जी भी हो सकती है।कई दफा उनके करीब जाने से आपको छींक आना शुरू हो सकती है और उन्हें छूने से त्वचा की एलर्जी हो सकती है। इन सभी एलर्जियों का कारण हो सकते हैं जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन।आइए पालतू जानवरों से होने वाली एलर्जी के विषय में विस्तार से जानते हैं।

पालतू जानवरों की एलर्जी होने के कारण
पालतू जानवरों की एलर्जी एक सामान्य एलर्जी प्रतिक्रिया है, जो आम तौर पर बिल्लियों, कुत्तों और पक्षियों जैसे जानवरों के संपर्क में आने से होती है। इन जानवरों की लार, मूत्र या त्वचा में पाए जाने वाले प्रोटीन ही एलर्जी का कारण हो सकते हैं।जब लोग इन एलर्जी कारकों के संपर्क में आते हैं, तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें हानिकारक तत्व समझकर हिस्टामाइन जैसे रसायन छोड़ती है। इसके चलते ही लगातार छींक आना शुरू हो जाती है।

पालतू जानवरों की एलर्जी के लक्षण
पालतू जानवरों की एलर्जी के लक्षण हर किसी में अलग-अलग होते हैं। इसके सबसे सामान्य लक्षणों में खांसी आना, छींक आना, नाक बहना और आखों में खुजली होना शामिल हैं।इसके अलावा पालतू जानवरों की एलर्जी होने पर आपको शरीर में खुजली, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द भी हो सकता है। गंभीर मामलों में लोगों को अस्थमा का दौरा भी पड़ सकता है।आप पालतू जानवरों की देखभाल के लिए ये टिप्स अपना सकते हैं।

एलर्जी से बचते हुए पालतू जानवर के साथ रहने के टिप्स
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिस पालतू जानवर से आपको एलर्जी है, उसके साथ रहना आपके लिए संभव है। हालांकि, ऐसा करने के लिए आपको अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी।अपने पालतू जानवर को घर के कुछ क्षेत्रों से दूर रखकर एलर्जी के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही आपको घर में एयर पीयूरिफाइयर लगाने से भी मदद मिलेगी।अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से नहलाएं और घर को रोजाना साफ करें।

पालतू जानवरों की एलर्जी का इलाज करने के तरीके
सही समय पर पालतू जानवरों से होने वाली एलर्जी का इलाज करना जरूरी होता है, जिसके लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आपको अधिक असुविधा होती है तो आप अपने पालतू जानवर के करीब आते वक्त मास्क लगाकर रखें।कई बार पालतू जानवरों की एलर्जी पैदा करने वाले प्रोटीन के संपर्क में आने से समय के साथ एलर्जी अपने आप कम हो जाती है, क्योंकि आपका शरीर उनके अवगत हो चुका होता है।

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