uttarakhand

जनजातीय समाज का आत्मनिर्भर बनना देश की उन्नति के लिए बहुत जरूरी

जनजातीय महोत्सव में डबल इंजन सरकार की नीतियां बतायीं

देहरादून।  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के परेड मैदान में राज्य जनजातीय शोध संस्थान की ओर से आयोजित जनजातीय महोत्सव में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को कार्यक्रम के आयोजन की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी ने आदिवासी समाज के लिए अस्तित्व, अस्मिता और आत्मनिर्भरता का जो मंत्र दिया था उसका संपूर्ण देश मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अक्षरशः पालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि पेड़ चाहे जितना भी विशाल हो, लेकिन वह तभी अपना सीना ताने खड़ा रह सकता है, जब उसकी जड़ें मजबूत हों और जनजातीय समाज हमारे वटवृक्ष रूपी देश की मजबूत जड़ के समान है। इसलिए हमारी डबल इंजन की सरकार का मानना है कि जनजातीय समाज का मजबूत और आत्मनिर्भर बनना देश और प्रदेश की उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान को कौन भूल सकता है। उन्होंने कहा कि इस योगदान का स्मरण करते हुए पिछले वर्ष प्रधानमंत्री ने प्रत्येक वर्ष की 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। जिसे हमारी सरकार द्वारा भी हर वर्ष अत्यंत धूमधाम से मनाया जा रहा है और भविष्य में भी मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का यह जनजातीय महोत्सव जहां एक ओर जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान कर रहा है, वहीं गैर जनजातीय समुदाय को भी जनजातीय समाज की कला एवं संस्कृति की विशेषताओं से अवगत कराने का कार्य भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज तक जनजातीय समाज के राष्ट्र निर्माण में किए गए योगदान की जानकारी से देश को अंधेरे में रखा गया और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में बताया गया, पर आज मोदी के नेतृत्व में हमारा देश जाग चुका है और अब कोई भी इसकी संस्कृति और इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आजादी के नायकों की भूली बिसरी वीर गाथाओं को देश के सामने लाना है, यह हमारा कर्तव्य है और हम आदिवासियों द्वारा किए गए महान बलिदानों को कभी नहीं भूल सकते।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले सरकारों में आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी थी, उन्होंने आदिवासी समाज के व्यावसायिक हितों पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह सरकारें दिखावे तक ही आदिवासी समाज के विकास की बात लिया करती थी, परंतु 2014 के बाद से देश में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आदिवासी समाज के धरातल पर विकास के लिए नूतन प्रयोग किए। आज चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या चिकित्सा का क्षेत्र हो आदिवासी समाज के हितों का ध्यान रखकर ही देश और प्रदेश की सरकारें अपनी समस्त योजनाएं बना रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जाति व्यवस्था को गलत रूप में प्रचारित व प्रसारित किया गया। प्राचीनकाल में जाति व्यवस्था कर्म आधारित थी न कि जन्म आधारित। अगर हम अपने इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो रामायण के लेखक भगवान वाल्मीकि व महाभारत के लेखक वेद व्यास जी, दोनों ही जन्म से तथाकथित उच्च जातियों में से नहीं थे। जब भगवान श्रीराम वनगमन के लिए जा रहे थे तब उन्होंने शबरी के जूठे बेर बड़े प्रेम से खाये। भगवान श्रीकृष्ण को यदुवंशी माना जाता है, पर हम सभी श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ-साथ विश्वामित्र क्षत्रिय वंश में पैदा हुए पर उन्होंने गायत्री मंत्र की रचना की जिसे ब्रह्मत्व का मूल आधार माना जाता है। इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि हमारे यहां जन्म आधारित जाति व्यवस्था नही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मुगलकालीन इतिहास देखें तो पाएंगे कि, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज का जनजातीय समाज ने किस तरह से साथ दिया था, इसी सहयोग का परिणाम था कि महाराणा प्रताप, अकबर से और शिवाजी महाराज, औरंगजेब से लोहा ले सके थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार ’’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’’ के मंत्र के साथ चल रही है। बीते नौ वर्षों से मोदी की सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए कई ऐसी योजनाओं को लागू किया है, जिनसे समाज के ये वर्ग विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें। यही नहीं प्रधानमंत्री ने जहां एक ओर उज्ज्वला गैस कनेक्शन योजना में गरीबों, शोषितों, वंचितों, आदिवासियों और दलितों को प्राथमिकता दी वहीं आयुष्यमान योजना द्वारा इस वर्ग का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया। आज देश के सभी पिछड़े गांवों में बिजली पहुंच गई है, साथ ही 50 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले क्षेत्र में एकलव्य स्कूल खोले जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि एक ओर जहां कालसी, बाजपुर एंव खटीमा में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है वहीं ग्राम मैरावना, चकराता व देहरादून में भी नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य का मुख्यसेवक होने के नाते आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी सरकार उत्तराखंड में आदिवासी समाज के विकास के लिए रात-दिन कार्य करती रहेगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनजाति कल्याण विभाग के ढांचे को पुनर्गठित करने एवं उत्तराखंड जनजातीय महोत्सव के आयोजन हेतु धनराशि को बढ़ाये जाने की भी घोषणा की। इस अवसर पर विभिन्न जनजातियों द्वारा अपनी संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।इस अवसर पर उत्तराखंड जनजाति आयोग की अध्यक्ष लीलावती राणा, विधायक खजान दास, पूर्व राज्य सभा सांसद तरुण विजय, जनजाति कल्याण विभाग के निदेशक एसएस टोलिया, समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी, उपनिदेशक योगेंद्र सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *